नई दिल्ली। दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। दिल्ली में बाइक टैक्सी को लेकर परिवहन विभाग की अधिसूचना पर हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया है। दिल्ली सरकार के वकील मनीष वशिष्ठ और ज्योति मेंदिरत्ता ने जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस राजेश बिंदल की अवकाश पीठ के समक्ष सोमवार को याचिका दाखिला की। साथ ही इसे तत्काल लिस्टिंग की मांग की। अदालत ने कहा कि वह याचिका पर बुधवार को सुनवाई करेगी।
गौरतलब है कि अरविंद केजरीवाल सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट के 26 मई के उस फैसले के खिलाफ सुप्रीमकोर्ट का रुख किया है, जिसमें दिल्ली में वाणिज्यिक संचालन जारी रखने और शहर में चलने वाले गैर-परिवहन दोपहिया वाहनों के एग्रीगेटर के रूप में बिना किसी लाइसेंस के कार्य करने की अनुमति दी गई है। दिल्ली परिवहन विभाग ने फरवरी में दोपहिया बाइक टैक्सी पर सवारी ढोने पर रोक लगा दी थी। परिवहन विभाग द्वारा एक सर्कुलर के तहत बाइक पर सवारी ढोने वालों पर रोक लगा दी गई थी। इसमें कहा गया था कि मोटर व्हीकल एक्ट 1988 के तहत दो पहिया वाहनों पर सवारी ढोना दंडनीय अपराध है। पहली बार इस नियम का उल्लंघन करने पर पांच हजार रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा। दूसरी बार में यह जुर्माना दोगुना होकर 10 हजार रुपए हो जाएगा।
सरकार के नोटिस पर दिल्ली हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैट और नीना बंसल कृष्णा की खंडपीठ ने परिवहन विभाग को निर्देश दिया है कि जब तक पॉलिसी नहीं बन जाती है, वह रैपिडो और दूसरी सम्बंधित कंपनियों के खिलाफ सख्त कदम न उठाएं।