गौतमबुद्धनगर। ग्रेटर नोएडा वेस्ट की टेकज़ोन 4 स्थित मेफेयर रेसीडेंसी हाऊसिंग सोसायटी में बिल्डर की धोखाधड़ी और तानाशाही के चलते सोसायटी निवासियों का जीना दुश्वार हो चुका है। भीषण गर्मी का प्रकोप में पानी और बिजली की किल्लत झेल रहे सोसायटी निवासियों की तकलीफों से लगता है मेफेयर रेसीडेंसी हाऊसिंग सोसायटी के बिल्डर सुपरसिटी डेवेलपर ने अपना मुंह मोड़ लिया है। सोसायटी निवासी बीते कई वर्षों से बिजली-पानी के लिए संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन लगता है बिल्डर के साथ-साथ शासन, प्रशासन और प्राधिकरण ने भी सोसायटी निवासियों की इन समस्याओं को अनसुना कर दिया है।
1: बिजली और पॉवर-कट की समस्या
सोसायटी निवासियों को आये दिन बिजली और पॉवरकट की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। यह समस्या सोसायटी में बीते कई वर्षों से है। बता दें कि बिल्डर ने बिजली का अवैध कनेक्शन ले रखा है। सोसायटी निवासियों का आरोप है कि लगातार पॉवरकट के बावजूद बिल्डर द्वारा अभी तक डीजी बैकअप की व्यवस्था नहीं है। बिल्डर के पास न तो लोड है और न ही इंफ्रा। जिला प्रशासन द्वारा मामले में हस्तक्षेप के बाद बिल्डर ने बीते माह सोसायटी के दो टावरों में नाममात्र की दिया लेकिन वो अभी तक स्थायी नहीं है।
2: अनियमित बिजली का बिल
सोसायटी निवासियों का आरोप है कि बिल्डर द्वारा सोसायटी में अस्थायी और अवैध तरीके से बिजली कनेक्शन संचालित है और बिल्डर उसमे में निवासियों ने मनमाना बिजली का बिल वसूलता है। बिल्डर ने अवैध कनेक्शन के चलते भ्रष्टाचार फैला रखा है। बिल्डर ने बिना किसी रीडिंग के सोसायटी निवासियों को 4-4 हजार रुपये का बिजली का बिल भेज दिया और जब सोसायटी निवासियों ने इसके खिलाफ शिकायत की तो बिल्डर ने सभी को 23 रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से बिल भेज दिया। सोसायटी निवासियों का आरोप है कि बिल्डर इस बिल का ब्यौरा देने को तैयार नहीं है।
3: पानी की समस्या
कई वर्षों बाद भी सोसायटी में पानी की समस्या जस-कि-तस है। सोसायटी में बिल्डर द्वारा कोई भी वैध पानी का कनेक्शन नहीं लिया गया है व सोसायटी में बोरवेल के माध्यम से पानी की सप्लाई की जा रही है। सोसायटी निवासियों पानी भरने के लिए कई मंजिलों नीचे उतरना-चढ़ना पड़ता है। एक तरफ शासन-प्रशासन लोगों से पानी पीते रहने की अपील कर रहे हैं तो दूसरी तरफ भीषण गर्मी में सोसायटी निवासियों को हो रही पानी की किल्लत की सुध लेने वाला भी कोई नहीं है।
4: बिना रजिस्ट्री दे रहा पजेसन
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सख्त आदेशों के बावजूद भी बिल्डर बिना फ्लैटों की रजिस्ट्री हुए लोगों को पजेसन दे रहा है। गौरतलब है कि सोसायटी में अभी तक एक भी फ्लैट की रजिस्ट्री नहीं हुई है, बावजूद इसके बिल्डर ने खरीदारों को कब्जा दे रहा है। जबकि बता दें कि बीते वर्ष प्राधिकरण ने सख्त आदेश दिया था कि यदि किसी बिल्डर ने बिना फ़्लैट की रजिस्ट्री के फ़्लैट खरीदार को कब्जा दिया तो बिल्डर के खिलाफ सख़्त कार्रवाई की जाएगी। गौरतलब है कि बिल्डर पर प्राधिकरण का करोड़ों रुपया बकाया है जिसके चलते बिल्डर को ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट (ओसी) यानि अधिभोग प्रमाण पत्र अभी तक नहीं मिल सका है। देखना होगा कि आखिरकार प्राधिकरण कब बिल्डर के खिलाफ ऐक्शन लेता है।
5: आवाज़ उठाने वाले निवासियों को बिल्डर की धमकी
सोसायटी में बिल्डर की धोखाधड़ी और गैरकानूनी कामों के खिलाफ आवाज़ उठाने वाले निवासियों को बिल्डर द्वारा डराया व धमकाया जाता है। हाल ही में एक सोसायटी निवासी को बिल्डर की धोखाधड़ी की शिकायत जिला प्रशासन से करने पर बिल्डर ने उस सोसायटी निवासी को 10 करोड़ रुपये के मानहानि का नोटिस देकर डराने की कोशिश की थी। इससे पहले भी कई बार बिल्डर के गुंडों द्वारा सोसायटी निवासियों को डराने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका है।
6: पॉवरकट से लिफ्ट न चलने की समस्या
प्रदेश में जहां हाईराइज बिल्डिंगों में लेफ्ट को लेकर सख़्त नियम व क़ानून बनाये जाने की मांग हो रही है, वहीं बिल्डर के रहमो-करम पर संचालित हो रही बिजली आपूर्ति बाधित होने पर सोसायटी में लिफ्ट बंद हो जाती है। जिसके चलते सोसायटी निवासियों सीढ़ियों का सहारा लेना पड़ता है। ऊंचाई पर रहने वाले, बुजुर्गों और महिलाओं के लिए सीढ़ियां चढ़ना और उतरना मुसीबत का सबब बन जाता है। हाल ही में सोसायटी के 11वें मंजिल पर रहने वाली एक महिला को दिल का दौरा पड़ने के दौरान सोसायटी की लेफ्ट बंद थी, जिसके बाद आपातकाल स्थिति में ग्राउंड फ्लोर पर खड़ी ऐम्बुलेंस सुविधा तक महिला को पंहुचाने में परिजनों को बहुत समस्याओं का सामना करना पड़ा। सोसायटी निवासियों का आरोप है कि ऐसी आपातकाल स्थिति में यदि किसी व्यक्ति की जान चली जाए तो इसके लिए कौन जिम्मेदार होगा।
इसके अलावा भी सोसायटी में बहुत सी समस्याएं हैं। लेकिन सोसायटी निवासियों के तमाम प्रोटेस्ट और शिकायतों के बावजूद भी शासन से लेकर प्रशासन और प्राधिकरण तक सभी खामोश हैं जिसके चलते बिल्डर पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है और बिल्डर जमकर अपनी मनमानी कर रहा है।