गौतमबुद्ध नगर। शहर में रहने वाले लोगों को विभिन्न प्रकार का प्रलोभन देकर और भय दिखाकर उनसे साइबर ठगी करने वाले बदमाशों की गिरफ्तारी के लिए गौतमबुद्ध नगर पुलिस कमिश्नर ने खाका तैयार कर लिया गया है। इस तरह के अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए एक विशेष टीम गठित कर ठगी के तरीकों और गिरोह के सदस्यों की जानकारी जुटाई जा रही है। पुलिस अधिकारियों का दावा है कि जल्द ही इस तरह के गैंग के लोग सलाखों के पीछे होंगे। विशेष टीम में साइबर क्राइम थाने समेत अन्य थानों पर तैनात उन पुलिसकर्मियों को शामिल किया गया है जिन्हें तकनीक की अच्छी समझ है, और साइबर ठग गिरोह पर पूर्व में काम किया है।
गौतमबुद्ध नगर की पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह ने बताया कि बीते कुछ समय से पार्ट टाइम नौकरी, साइबर रेप और पार्सल में ड्रग्स होने का डर दिखाने के बाद साइबर ठगी करने के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए विशेष टीम बनाई गई है। देश के भीतर मौजूद ठग गिरोह के सदस्यों के बारे में टीम को अहम जानकारी मिली है। जल्द ही भारी संख्या में ठग गिरोह के सदस्यों की गिरफ्तारी होगी। गिरोहों के मुख्य आरोपियों और सरगना द्वारा जिनके खातों का इस्तेमाल किया जाता है उनपर भी कार्रवाई होगी। सरगना से लेकर खाते उपलब्ध कराने वाले आरोपियों पर शिकंजा कसा जाएगा। साइबर विशेषज्ञों की भी टीम मदद ले रही है। आभासी खातों पर भी एक टेक्निकल टीम काम कर रही है। इसके अलावा साइबर ठगी के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए सोसायटियों और सेक्टरों में विशेष अभियान चलाया जाएगा। लोगों को हेल्पलाइन नंबर समेत अन्य तरीकों की जानकारी दी जाएगी ताकि उन्हें ठगी से बचाया जा सके। लोगों को बताया जाएगा कि अगर गोल्डन ऑवर में पीड़ित ठगी की शिकायत कर देता है तो रकम फ्रीज होने की पूरी संभावना रहती है।
उन्होंने बताया कि जिन गिरोहों का सफाया करने पर काम चल रहा है उनमें गिरोह के जालसाज अनजान नंबर से किसी भी व्यक्ति को मैसेज भेजते हैं और होटल और रेस्टोरेंट का रिव्यू कर घर बैठे पैसा कमाने का झांसा देते हैं। प्रारंभिक चरण में ठग कुछ मुनाफा देकर विश्वास जीतते हैं और बाद में भारी मुनाफा होने की बात कहकर रकम निवेश करा लेते हैं। निवेश की हुई रकम जालसाजों द्वारा डाउनलोड कराए गए खाते में मुनाफे समेत दिखती है पर वह असल में होती नहीं है। वहीं पार्सल में ड्रग्स होने का डर दिखाकर जेल भेजने की बात कहता है। गिरोह के सदस्य पुलिसकर्मी बनकर पीड़ित को डिजिटल अरेस्ट करते हैं और खाते में रकम ट्रांसफर करा लेते हैं। ठगी की जानकारी होने के बाद दोनों गिरोह के सदस्य पीड़ित से संपर्क तोड़ लेते हैं।
गौरतलब है कि इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर के जनवरी से अप्रैल 2024 तक के आंकड़ों के अनुसार साइबर ठगी के विभिन्न मामलों में भारतीय नागरिकों को 1,750 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है और इस दौरान नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल पर इस तरह के 7 लाख 40 हजार से अधिक शिकायतें की गई। हर दिन साइबर क्राइम की हजारों शिकायतों में 85 फीसदी शिकायतें ऑनलाइन फाइनेंशियल फ्रॉड की आती हैं। 2019 में साइबर क्राइम के 26 हजार 49 मामले आए थे। 2020 में आंकड़ा बढ़कर 2 लाख 57 हजार 777 पर पहुंच गया। इसके बाद साइबर क्राइम के मामले बढ़कर 2021 में 4 लाख 52 हजार 414 पर और 2022 में 9 लाख 66 हजार 790 पर पहुंच गए। वर्ष 2023 में देशभर में साइबर क्राइम के मामले 15 लाख 56 हजार 218 पहुंच गए। वर्ष 2024 के पहले 4 महीने में 7 लाख 40 हजार 957 मामले सामने आ चुके हैं। सबसे अधिक ट्रेडिंग ऐप के नाम पर भारतीय नागरिकों को चपट लगाई जा रही है। 2024 के पहले 4 महीने में साइबर फ्रॉड के कुल 1740 करोड़ में से 1,420 करोड़ रुपये का नुकसान लोगों को ट्रेडिंग स्कैम में हुआ है। इस साल के शुरुआती 4 महीनों में ट्रेडिंग स्कैम के 20,043 मामले दर्ज हुए हैं। वहीं इस दौरान डिजिटल अरेस्ट के सामने आए 4,599 मामलों में लोगों को 120 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। लोगों को 222 करोड़ रुपये का नुकसान निवेश स्कैम से और 13.23 करोड़ रुपये का नुकसान डेटिंग ऐप के चलते हुआ है।